शनिवार, 25 मार्च 2017

योगीजी! ये राह नही आसान

वो सिरफिरी हवा थी संभलना पड़ा मुझे
आखिरी चिराग हू यारो जलना पड़ा मुझे
इस चिराग से सब रोशनी की उम्मीद पाल रहें है पर क्या योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश को उत्तम प्रदेश बना पाएंगे।  एक प्रचंड बहुमत को देखकर लोगों की उम्मीदें भी हिलोरे मार रही है। योगी भी सब कुछ बदल डालूंगा की तर्ज पर काम कर रहें है। उनका आगाज़ लोगों में भरोसा जगा रहा है।  सफाई अभियान की कसमें, पुलिसिया शैली को बदलने की जिद, एंटी रोमियों स्क्वॉड, बूचड़खानों में ताला जैसे शुरूआती कदम बदलाव की आहट के तौर पर दिख रहे है । सबको साथ लेकर सबका विकास करने की वो बात कर रहें है। मगर जो यूपी को जानते हैं, समझते हैं, वो ही बता सकतें है  कि क्रांतिकारी होने या दिखने से सूबा नही बदलने वाला। ये देश का सबसे बड़ा राज्य है। आने से पहले ही वो जनता के बीच अपने लोक संकल्प पत्र को लागू करने का भरोसा दिला चुके हैं। मगर यूपी को बदलने में योगी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
पहला उन्हे जिन अधिकारियों से काम लेना है उनमें ज्यादातर राजनीतिक निष्ठा के लिए जाने जाते हैं । कोई एसपी का खास है तो कोई बीएसपी का। जाहिर है निष्ठा टूटने मे वक्त लगता है। साथ ही ज्यादातर बाबूओं के खर्चे अनाप शनाप है। उस आदत से बाहर आने में भी समय लगेगा।
दूसरा पुलिसिया व्यवस्था को लाइन में लाना। यह काम भी हाथी को कटार से काबू करने जैसा है। सिफारिश और पुलिस पर दबाव जैसी समस्याओं से निपटने के लिए वो पहले ही अपना दांव चल चुके है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसदों को साफ साफ कह दिया है न सिफारिश करें न पुलिस पर अनावश्यक दबाव बनायें। यानि योगी बिना किसी दबाव के आगे बढ़ेंगे। क्योंकि जिस कानून व्यवस्था को जंगलराज का तमगा लगाकर वो सत्तासीन हुए है उसे संभालने की जिम्मेदारी अब उनके ही कंधों पर है।
तीसरा किसानों के हालात सुधारना भी उनके लिए  किसी चुनौती से कम नहीं। देश के साथ साथ यूपी का किसान बेहाल है। खासकार पूर्वांचल और बुंदेलखंड के किसान बदहाल हैं। पश्चिमी यूपी के गन्ना किसान समय से भुगतान ना मिलने से परेशान हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बैंक का समय  से कर्ज न चुका पाने के लेकर है। आस सरकार से है कि वो किसान का कर्जा माफ कर देगी।  मगर कर्ज माफी तत्कालिक समाधान है। खेती और किसान के लिए कारगर योजना और उपज का उचित मूल्य देने की व्यवस्था करना जरूरी है।
चौथा शिक्षा और स्वास्थ्य को बेहतर करना। बच्चों के दाखिले स्कूलों में बढ़ गए । मगर शिक्षा की गुणवत्ता आज भी एक बड़ी चुनौती है। साथ ही शिक्षकों को समय के साथ ट्रेनिंग और डिजीटल तौर तरीकों में महारत दिलाना जरूरी है। दूसरा ड्राप आउट अनुपात को भी काबू में करना है। सवास्थ्य के लिहाज से भी प्रदेश बदहाल है। खुद मुख्यमंत्री का गढ़ गोरखपुर जापानी बुखार के लेकर बदनाम है। वो सांसद को तौर पर इस मुददे पर कई बार संसद में आवाज उठा चुके हैं। अब जिम्मेदारी खुद के कंधों पर है। सब सेंटर प्राइमरी हेल्थ सेंटर, कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर और जिला अस्पतालों को दुरूस्त करना है। कहीं डाक्टर नहीं, कहीं बेड उपलब्ध नही, तो कहीं दवाइयां नही मिलती। सबसे ज्यादा जांच के लिए लोगों को सबसे ज्यादा पैसा देना पड़ता है। वैसे तो शिक्षा समवर्ती सूची में आता है इसलिए केन्द्र भी आर्थिक मदद करता है मगर सेहत सुधारने का जिम्मा योगी का ही होगा। उनके पहले बजट से ही साफ हो जाएगा कि उनकी आगे की रहा क्या होने जा रही है।
पांचवा रोजगार के अवसर पैदा करना। रोजी रोटी की तलाश के लिए सूबे का युवा पलायन करता है। बीजेपी 5 साल में 70 लाख रोजगार देने का वादा कर चुकी है। मगर रोजगार कैसे मिलेंगे। योगी को निवेशकों को साधना जरूरी है। मगर कैसे। बिजली की कमी, कानून व्यव्स्था, करों का सरलीकरण जैसे मुद्दों पर उन्हें तेजी से काम करना होगा। उनके पक्ष में जो बात जाती है वह है केन्द्र में भी उनकी सरकार होना।  यानि डबल इंजन वाली सरकार के पास बहाने का कोई रास्ता नही बचेगा। इतिहास उठा के देख लिजिए जनता जितनी तेजी से उठाती है उससे कही ज्यादा तेजी से गिरा देती है। बाकि परीक्षा 2019 में तय है।

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