मंगलवार, 17 मई 2016

सब्सिडी में सुधार

मोदी सरकार ने सब्सिडी को टारगेट करना शुरू किया तो नतीजे सामने आने लगे। हालांकि उसने योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुचाने के लिए उसी आधार को सामने रखा जिसका की वो कभी विरोध करते थे।मोदी सरकार का जैम मंत्र यानि जनधन आधार और मोबाईल योजना  कामयाब होती दिख रही थी। योजनाओं का  फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए मगर  विचौलियों बीत में ही 

हाथ साफ कर लेते थे। नतीजा हजारों करोड़ो खर्च करने के बाद नतीजा ढाक के तीन पात। 
मसलन पीडीएस के तहत मिलने वाला 58 फीसदी राशन काले बाजार में बीक जाता था। गरीब को दिए जाने वाला कोरोसिन उस तक पहुंचने के बजाय डीजल में मिला जाता था। 

यूरिया एमओपी और डीओपी की कालाबाजारी जगजाहिर थी। मगर सरकार से सुधारों पर ध्यान देकर काफी हद तक इस स्थिति को संभाला। सरकार ने पहल योजना के तहत 14.672 करोड़ रूपये बचाये। अकेले हरियाणा में 6 लाख फर्जी राशन कार्ड निरस्त किए गए। सरकार ने देश भर में 1.62 करोड़ बोगस राशन कार्ड निरस्त किए जिससे सरकार को 10 हजार करोड़ की बचत हुई।इसी तरह सरकार ने मनरेगा में 3000 करोड़,तो पेंशन फंड में 1.5 लाख डुप्लीकेट लाभार्थियों को बाहर किया। असर प्रधानमंत्री की अपील का भी हुआ। 1 करोड़ लोगों ने एलपीजी सब्सिडी को छोड़ दिया। जवाब में सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 5 करोड गरीब परिवारों को 
एलपीजी कनेक्शन देने का टारगेट रखा है। इसके तहत सरकार एलपीजी कनेक्शन के साथ 1600 रूपये भी दे रही है।
यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए नीम कोटिग का फार्मूला इजाद किया। आजादी के बाद गरीबी हटाओं योजना में लाख करोड़ पानी की तरह बहाये गए। समय समय परयोजनाओं के नाम तक बदल दिए गए। मगर भ्रष्टाचार के चलते यह योजना बीच में ही दम तोड़ देती थी। अब जैम के सहारे इसपर लगाम लगाने की कोशिश की गई है। यहां ये जानना भी जरूरी है कि की केन्द्र गरीब तक एक रूपया पहुंचाने के लिए 3.50 रूपये खर्च करती है।

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