मंगलवार, 17 मई 2016

मेक इन इंडिया

मेक इन इंडिया केन्द्र सरकार की एक महत्वकाक्षी योजना है। सरकार इसके जरिए न सिर्फ निवेश लाना चाहती है बल्कि 10 करोड़ लोगों को रोजगार देना चाहती है। साथ ही जीडीपी में इस से्क्टर की भागीदारी मौजूदा 15 से 25 प्रतिशत करना चाहती है। बहरहाल इसके तहत 25 सेक्टरों को शामिल किया गया है।

आॅटोमोबाइल कंपोनेंट
आईटी और बीपीएम
सड़क और राजमार्ग
  • एविएशन
  • चमड़ा
  • अंतरिक्ष
  • जैव प्रौद्योगिकी
  • मीडिया और मनोरंजन
  • कपड़ा और वस्त्र
  • केमिकल
  • खनन
  • थर्मल पावर
  • निर्माण
  • तेल और गैस
  • पर्यटन और हाॅस्पिटेलिटी
  • रक्षा विनिर्माण
  • फार्मास्यूटिकल्स
  • कल्याण
  • इलेक्ट्रिकल मशीनरी
  • बंदरगाह
  • इलेक्ट्राॅनिक प्रणाली
  • रेलवे
सरकार की कोशिश है कि इन सेक्टरों में ज्यादा से ज्यादा  निवेश आये।

सब्सिडी में सुधार

मोदी सरकार ने सब्सिडी को टारगेट करना शुरू किया तो नतीजे सामने आने लगे। हालांकि उसने योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुचाने के लिए उसी आधार को सामने रखा जिसका की वो कभी विरोध करते थे।मोदी सरकार का जैम मंत्र यानि जनधन आधार और मोबाईल योजना  कामयाब होती दिख रही थी। योजनाओं का  फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए मगर  विचौलियों बीत में ही 

हाथ साफ कर लेते थे। नतीजा हजारों करोड़ो खर्च करने के बाद नतीजा ढाक के तीन पात। 
मसलन पीडीएस के तहत मिलने वाला 58 फीसदी राशन काले बाजार में बीक जाता था। गरीब को दिए जाने वाला कोरोसिन उस तक पहुंचने के बजाय डीजल में मिला जाता था। 

यूरिया एमओपी और डीओपी की कालाबाजारी जगजाहिर थी। मगर सरकार से सुधारों पर ध्यान देकर काफी हद तक इस स्थिति को संभाला। सरकार ने पहल योजना के तहत 14.672 करोड़ रूपये बचाये। अकेले हरियाणा में 6 लाख फर्जी राशन कार्ड निरस्त किए गए। सरकार ने देश भर में 1.62 करोड़ बोगस राशन कार्ड निरस्त किए जिससे सरकार को 10 हजार करोड़ की बचत हुई।इसी तरह सरकार ने मनरेगा में 3000 करोड़,तो पेंशन फंड में 1.5 लाख डुप्लीकेट लाभार्थियों को बाहर किया। असर प्रधानमंत्री की अपील का भी हुआ। 1 करोड़ लोगों ने एलपीजी सब्सिडी को छोड़ दिया। जवाब में सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 5 करोड गरीब परिवारों को 
एलपीजी कनेक्शन देने का टारगेट रखा है। इसके तहत सरकार एलपीजी कनेक्शन के साथ 1600 रूपये भी दे रही है।
यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए नीम कोटिग का फार्मूला इजाद किया। आजादी के बाद गरीबी हटाओं योजना में लाख करोड़ पानी की तरह बहाये गए। समय समय परयोजनाओं के नाम तक बदल दिए गए। मगर भ्रष्टाचार के चलते यह योजना बीच में ही दम तोड़ देती थी। अब जैम के सहारे इसपर लगाम लगाने की कोशिश की गई है। यहां ये जानना भी जरूरी है कि की केन्द्र गरीब तक एक रूपया पहुंचाने के लिए 3.50 रूपये खर्च करती है।

जन धन योजना

जन धन योजना.....पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट
गरीब गुरबा को बैंकों से जोड़ने की मुहिम
मोदी सरकार दो साल पूरा करने जा रही है......जन धन योजना का क्या हाल है....हम यही पड़ताल करने की कोशिश कर रहे हैं ।

28 अगस्त 2014 को इस महत्वकांक्षी योजना की शुरूआत हुई। लक्ष्य बड़ा है और चुनौतियां तमाम। वैसे जनता को बैंकों से जोड़ने की ये पहली कोशिश नहीं है...मनमोहन  सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने भी ऐसी कोशिश की थी, लेकिन  टारगेट के करीब वो कभी नहीं पहुंच सके.... लिहाज़ा सबका साथ सबका विकास का नारा देकर आई बीजेपी के लिए इस योजना का क्रियान्वयन इतना आसान नही था।

2011 के आंकड़े के मुताबिक कुल 24.67 करोड़ परिवारों में से 14.48 करोड़ की पहुंच बैंकिग सेवाओं तक थी। गांव में 54 फीसदी तो शहरों में 67.68 फीसदी परिवारों की पहुंच 
बैंकिंग सेवाओं तक थी। ऐसे में देश के 42 फीसदी परिवारों का बैंकों से कोई नाता नहीं था। 
42 फीसदी आबादी को बैंकों से जोड़़ने की चुनौती बहुत बड़ी है.....2014 से सरकार आरबीआई और बैंक इस काम पर जुट गए
जन धन योजना के तहत 
जीरो बैलेंस पर खाता खोला गया
जमा राशि पर  ब्याज का प्रावधान दिया गया
पैसा निकालने के लिए रुपे नाम का डेबिट कार्ड जारी किया गया
न्यूनतम राशि रखने के प्रावधना को खत्म किया गया 
एकाऊंट खोलने के साथ ही 30 हजार का जीवन बीमा दिया गया 
साथ ही 1 लाख का दुर्घटना बीमा इस एकाऊंट के साथ कवर किया गया
सामाजिक योजना मसलन सब्सिडी और पेंशन योजना का फायदा सीधे जरूरतमंदों पहुंचाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है

प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के उद्घाटन के दिन ही 1.5 करोड़ बैंक खाते खोले गए
 
प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अब तक 
21 करोड़ 81 लाख खाते खोले गए हैं
इन खातों में 37616.58 करोड़ जमा हैं
1-26 लाख बैंक मित्रों की तैनाती की गई है। 


आबादी की पहुंच बैंकिंग सेक्टर तक पहुचाने के लिए यह योजना की तारीफ हर कोई कर रहा है। लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इससे समाज में बड़ी तब्दीली आएगी...... जानकार इसे सबका साथ सबका विकास के रास्ते पर महज एक कदम मानते हैं।